Complaint Gst

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    अनिलसरन on 2017-10-02 16:35:34

    जेटली जी जैसा कि भारतीय मानस में एक बात गहरे बैठी हुई है कि वो बाजार से दस रूपये का साबुन बारह में लेने को तो आसानी से राजी हो जाता है पर दस रुपये के साबुन पर एक रुपया टैक्स जोड़ कर ग्यारह रुपये में लेने को राजी नहीं है। वो दस रुपये से लेकर साठ रूपये तक का साबुन खरीदता है यानि कि कीमत का उस पर इतना प्रभाव नहीं होता वो साठ रुपये का साबुन लेने को राजी है पर दस रुपये के साबुन पर एक रुपये टैक्स देने में उसे आपत्ति होती है। यह एक मिशाल है जो सारे प्रोडक्ट्स पर लागू होती है। इसलिये आपसे अनुरोध है कि जिन वस्तुऔं पर निर्माण के समय टैक्स लिया जा सकता है ले लिया जाये। महोदय मेरा एक होटल है जिसमें कमरे का किराया जो सालाना सोलह लाख आता है पर किराया अधिकतम नौ सौ रुपये होने से टैक्स फ्री है पर मेरी खाने की सालाना बिक्री जो केवल दो लाख सालाना है के लिये टैक्स देना है पर समस्या यह है कि मैं अगर समाधान योजना में जाता हूं तो मुझे कमरे के किराये पर भी पांच % कर देना होगा जो बहुत अधिक बनता है। मुझे टैक्स देने में आपत्ति नहीं है मुझे दो लाख के खाने की बिक्री के लिये माह में तीन नक्शे भरने में आपत्ति है। महोदय मैं पैसठ साल का हूं और प्रोपराइटरशिप में होटल चलाता हूं। अब मेरे सामने एक ही विकल्प बचता है कि मैं अपने होटल में खाने की बिक्री बन्द करके ग्राहको को मिलने वाली सुविधा बन्द करदूं और व्यवसाय का नुकसान करूं। महोदय मैं चाहता हूं कि मुझसे मेरी खाने की बिक्री पर आयकर की तरह एडवांस टैक्स लेलिया जाये और सालाना रिटर्न लेलिया जाये क्योंकि यहां भी समस्या वही है कि ग्राहक साठ से दो सौ रुपया प्लेट की दाल तो खाने में राजी है पर छ: रुपये टैक्स के नाम पर देने को राजी नहीं है। आशा है आप समस्या को समझने और उसका समाधान देने की कृपा करेंगे।