Complaint For publishing my poetry in your news paper

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    Nikhil Dwivedi on 2023-07-11 13:05:25

    Title-स्त्री-पुरुष

    पुरुष तो हैं वो सहन शीलता,
    प्रभु का ये वरदान है।
    सहित प्रेम कुछ इन्हे प्रमुखता,
    मिला जग में सम्मान है।
    है खूब समझ इनमे जो अपने,
    जिम्मेदारियां भी बहुत महान हैं।
    घर में अपने देख ही लो तुम,
    पिता का जो स्थान हैं।।

    न समझो कमजोर तुम इनको,
    प्रेम भरी जगदम्बा हैं।
    अगर आ गया गुस्सा इनको,
    काली चंडी स्वरूपा हैं।
    करता हूं मैं नमन इन्ही को,
    जीवन में सर्व महान हैं।
    घर में अपने देख ही लो तुम,
    जो मां का स्थान है।।

    स्त्री है वो अगर कमल तो,
    पुरुष भी उसकी नाल है।
    बिना दंपति इस जग का,
    कहां कभी कल्याण है।
    जैसे बिन पानी की बदरी,
    सिर्फ धूप छैकने आती है।
    बिना पुरुष के स्त्री भी वो,
    स्त्री कहां कहलाती है।।

    दोनो बिना एक दूजे के,
    ये तो पूरे नहीं समान हैं।
    अगर पुरुष है दिया इस जग का,
    स्त्री तेल सामान है।।
    -निखिल द्विवेदी 'प्रयाग'
    प्रयागराज,उत्तर प्रदेश