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    Harendra pratap singh-9039059002 on 2019-10-06 13:43:31

    सहायक प्रध्यापक परीक्षा 2017 से 34 चयनित दिव्यांग बाहर
    भोपाल में आने वाले 34 पूर्व चयनित दिव्यांग उम्मीदवार केबिनेट मंत्री,उच्च शिक्षा से मिलन|
    :: भोपाल::प्रदेश के करीब 34 चयनित दिव्यांग सहायक प्रध्यापकों के बाहर होने का मामला सामने आया है। इन सभी दिव्यांग सहायक प्रध्यापकों के सामने अब एक संकट उभर कर आया है जिसमें इन्हें सरकार की बेरूखी का भी सामना करना पड़ रहा है। इन दिव्यांग अभ्यर्थियों ने कठिन परिश्रम करके मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक प्रध्यापक परीक्षा 2017 में सफलता प्राप्त की,जिसके विभाग विभाग द्वारा इनके समस्त दस्तावेजों को भोपाल में वेरीफिकेशन भी कराया गया। उसके बाद उच्च न्यायालय जबलपुर ने इस भर्ती में केस नं. डब्ल्यू.पी. 20649/2018 में स्टे लगा दिया। दिनांक 17/06/2019 को उच्च न्यायालय ने इस भर्ती में अपने निर्णय से स्टे हटा दिया,लेकिन सभी लिस्ट (चयनितों की) को रिवाईज्ड करने के आदेश भी दिये हैं। चयनित दिव्यांगों को डर सता रहा था कि कहीं लिस्ट रिवाईज्ड करते समय उन्हें बाहर न कर दिया जाये। इस संबंध में उक्त सभी दिव्यांग प्रध्यापकों ने इस मामले में केबिनेट मंत्री,उच्च शिक्षा मंत्रालय को ज्ञापन सौंपकर अवगत कराते हुये बताया था कि वर्तमान में विभाग में 5000 पद खाली पडे हुये हैं। अत: जो लोग उक्त केस जीतकर आये हैं उनको और इनको जो कि पहले से ही चयनित हैं दोनों को खाली पदों में समाहित करें,ताकि किसी को भी बिना वजह बाहर न किया जाये। लेकिन चयनित दिव्यांग प्रध्यापकों के इस ज्ञापन पर भी केबिनेट उच्च शिक्षा मंत्री द्वारा कोई संज्ञान नहीं लिया गया।
    उच्च शिक्षा विभाग ने समय पर दिव्यांगों के पदों के लिये विशेष भर्ती अभियान के आदेशों का नहीं किया पालन |
    उच्च शिक्षा विभाग ने सुप्रिम कोर्ट के अवमानना प्रकरण क्रमांक 274/2013 नीलेश सिंघल विरूद्ध मध्यप्रदेश शासन नि:शक्तजनों के लिये आरक्षित पदों की पूर्ति हेतु कभी भी विशेष भर्ती अभियान नहीं चलाया। जिससे दिव्यांगजनों की भर्ती विगत वर्ष में नहीं सकी। उच्च शिक्षा विभाग ने समय पर सामान्य प्रशासन विभाग के दिव्यांगजनों के पदों के भर्ती हेतु विशेष भर्ती अभियान के आदेशों का भी पालन नहीं किया गया न ही दिव्यांगजनों के पदों को केरीफार्बड किया गया। जिससे पूर्व में कभी भी दिव्यांगजनों को रोस्टर के अनुसार 6 प्रतिशत पदों पर भर्ती नहीं हो सकी है। उच्च न्यायालय जबलपुर के आदेश क्रमांक डब्लयू.पी. 2722/2018 के निर्णय के अनुसार विभाग ने यू.आर.,एससी,एसटी,ओबीसी के कुल रिक्त पदों का व विज्ञापित पदों का ब्यौरा दिया पर उसमें दिव्यांगजनों के तीनों श्रेणीयों (अस्थि बाधित,दृष्टि बाधित,श्रवण बाधित) का ब्यौरा नहीं दिया है। जिसके कारण दिव्यांगजनों के रिक्त पदों की पूर्ण जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी। जबकि शासन के अनुसार दिव्यांगजनों के पदों के रोस्टर अलग से बनाया जाता है। उच्च शिक्षा विभाग की गलती के कारण पूर्व चयनित केवल 34 दिव्यांग चयन नवीन चयन सूची से बाहर हुये,जबकि शासन के पास दिव्यांगजन श्रेणी में कई पद रिक्त हैं, जिन पर दिव्यांगजनों को समायोजित किया जा सकता था। जबकि 19/08/2019 के संसोधन विवरण में अतिरिक्त पदों का श्रजन कर पूर्व में चयनित आंबेडकर विश्वविद्यालय महु (इंदौर) के उम्मीदवार बाहर न हो उनके साथ न्याय किया,परन्तु केवल 34 दिव्यांगजनों को नवीन चयन सूची से उच्च शिक्षा भोपाल ने बाहर कर दिया है। यदि उच्च शिक्षा विभाग चाहे तो पूर्व में चयनित विभिन्न श्रेणी के दिव्यांग उम्मीदवारों के अतिरिक्त पदों का श्रजन कर नवीन चयन सूची में समायोजित किया जा सकता था, ताकि पूर्व में चयनित आंबेडकर विश्वविद्यालय महु के 43 चयनित उम्मीदवारों की तरह दिव्यांगजनों के साथ भी न्याय होता। किन्तु उच्च शिक्षा विभाग ने ऐसा नहीं किया। जबकि उच्च शिक्षा विभाग के पास वर्तमान में दिव्यांगजनों के विभिन्न विषयों में विभिन्न श्रेणीयों के पद रिक्त है। जबकि विज्ञापन में मुद्रण त्रुटी की गलती उच्च शिक्षा विभाग की थी और परिणाम दिव्यांगो को भुगतना पड़ा,जो एक वर्ष से चयनित होने व दस्तावेज सत्यापन के बाद नियुक्त का इंतजार कर रहे थे। आज वे मानसिक,सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं। इसका जिम्मेदार कौन है?
    इनका कहना-
    अंबेडकर यूनिर्वसिटी मऊ (इंदौर) में चयनित 43 उम्मीदवारों का समायोजन जब सरकार कर सकती है तो हम केवल 34 चयनित सहायक प्रध्यापक दिव्यांगजनों का समायोजन भी किया जा सकता है। भोपाल में आने वाले 34 पूर्व चयनित दिव्यांग उम्मीदवार केबिनेट मंत्री,उच्च शिक्षा से मिलन|
    सोहनलाल बिरनवार
    सहायक प्रध्यापक,(अस्थि बाधित) विषय भूगोल
    ग्राम नैतरा जनपद पंचायत बालाघाट।