Complaint My poem

  • Rajasthan Patrika Contact Number in Jaipur - my poem
    bhoora ram on 2017-04-04 01:39:01

    (पहला प्रयास , त्रुटि संभाव्य . )
    # फिर भी कहूँगा ,है मेरा भारत महान् #
    जीरो की ख़ौज से, हीरो की बैल तक ! पाई की ख़ौज से , माई के प्यार तक।।
    खादी के गरीब से , नेताओ की नसीब तक ! वादी के आतंक से , सौंदर्य की चहक तक।
    समानता के आवरण से , भ्रस्टाचार के आचरण तक ! विविधता की एकता से नृजातीयता की धृस्टता तक।। फिर भी कहूँगा ...........
    लालू की चाल से , राजा के माल तक ! मोदी के ताज से, यौगी के राज तक।
    सविधान में पंथनिरपेक्ष से, राज में पंथपक्ष तक ! बिहार के बेहाल से , यूपी के कोलाहल तक।
    बापू के सेक्स से . राधे माँ के इश्क़ तक! फिर भी .............
    राम के राज से , किसान के ब्याज तक ! बुद्ध की ढेरी से युद्ध की भेरी तक।
    दंगल की हठ से, बेटे की रट तक ! चीर के हरण से, भ्रूण के मरण तक।
    गोद की किलकारी से, माँ बाप की दुत्कारि तक।। फिर भी ......
    bhu के भगवा से , amu के मौलवी तक! jnu की आजादी से, du की नारेबाजी तक।
    गांधी के सपनो से. विचारो के दफ़न तक.. .कहूँगा मेरा भारत महान्. जब तक है जहां ।।।
    (मेरे विचार है. किसी को आघात तो क्षमाप्रार्थी) - बी.आर.चौधरी