Complaint Press note

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    Dr Pancham Rajbhar on 2023-11-20 21:55:20

    *प्रेस विज्ञप्ति*
    ------------------ माध्यमिक शिक्षा परिषद उ प्र एवं अन्य संबंधित सरकारी पाठ्य पुस्तकों के पाठ्यक्रम में राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव राजभर जी के जीवन परिचय को शामिल करने की मांग-- डॉ पंचम राजभर---
    लखनऊ -19 नवम्बर 2023 - सुहेलदेव स्मृति मासिक पत्रिका के पूर्व सम्पादक एवं अखिल भारतीय राजभर संगठन के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव डॉ पंचम राजभर ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि भारत सरकार द्वारा *नई शिक्षा नीति 2020* के तहत मान्य पाठ्य पुस्तकों के पाठ्यक्रमों में देश की एकता अखण्डता,
    संप्रभुता,एवं संस्कृति,सभ्यता की रक्षा करने वाले उन तमाम राष्ट्रभक्त महापुरुषों,स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, राजनयिकों,आदि के राष्ट्रीय योगदान को दृष्टिगत रखते हुए देश व समाज को प्रेरणा हेतु उनके सुकृत्यों सहित जीवन वृतान्तों को शिक्षा विभाग द्वारा संचालित पाठ्यकर्मो में मूल भावना के अतिरिक्त समय समय पर विषय परिवर्तन किया जाता रहा है ! तदनुसार अद्यतन शिक्षा नीति में सरकार द्वारा अन्य सरकारी संस्थाओं के अलावा *उ प्र माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित कक्षा 9,10,11,12* के पाठ्य पुस्तकों के विषय सामग्री में राष्ट्रहित में समर्पित तमाम देशभक्तों के जीवन परिचय को शामिल किया जाना अत्यंत सराहनीय कदम है ! परंतु उन विषय वस्तुओं में कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण महापुरुषों का नाम व जीवन परिचय त्रुटिवश कतिपय कारणों से *छूट गया* है जिसे जनभावना के अनुरूप देश/समाज हित में अन्य पुस्तको के अलावा मा शि परिषद की पुस्तकों के भी पाठ्यक्रम के विषय सामग्री में शामिल किया जाना देश की कृतज्ञता होगी !
    डॉ राजभर ने कहा कि विश्वस्त सूत्रों द्वारा ज्ञात हुआ है कि *उ प्र माध्यमिक शिक्षा परिषद* द्वारा *नई शिक्षा नीति* के क्रम में राज्य सरकार द्वारा *समवर्ती सूची* विषयक के तहत कक्षा 9,10,11,12 के सिलेवस में लगभग *50 महापुरुषों* के जीवन परिचय को *शामिल* किया जाना निर्णीत है !
    परंतु उन राष्ट्रभक्तों की *सूची* में एक ऐसे देशभक्त का जो *11 वीं सदी* के तत्कालीन श्रावस्ती के सम्राट राष्ट्रनायक *भारशिव नागवंशी* सशक्त बहादुर शासक *भर कौम* के अपराजेय शूरवीर योद्धा *महाराजा सुहेलदेव राजभर* जी जिन्होंने कट्टर धर्मान्ध,जेहादी विदेशी आक्रांता तुर्क लुटेरों से देश,समाज की अखंडता संप्रभुता एवं उसकी सांस्कृतिक सभ्यता तथा मानवीय धर्म/सनातन धर्म की अपने *21 सहयोगी राजाओं के संघ* का *नेतृत्व* कर अदम्य पराक्रमी शूरवीरता पूर्ण साहस एवं विलक्षण युद्धनीति से लाखों दुश्मनों का संहार कर देश की अस्मिता की रक्षा की ! जिसके परिणामस्वरूप तत्समय लगभग 150 वर्षों तक किसी भी बाहरी दुश्मन ने भारत की तरफ आक्रमण करने का दुस्साहस ही नहीं किया ! ऐसे देशभक्त के वीरतापूर्ण राष्ट्रीय योगदान को कतिपय खड़यंत्र के तहत सर्वदा *उपेक्षित* ही किया जाता रहा है ! लेकिन वर्तमान सरकार द्वारा देश प्रेम की प्रेरणा हेतु वर्तमान केंद्र व राज्य सरकार द्वारा विगत वर्षों से महाराजा सुहेलदेव राजभर जी की स्मृति में आमजनमानस की भावनाओं के समादर में देशप्रेम की प्रेरणा हेतु *सरकारी तौर* पर महाराजा सुहेलदेव जी के नाम से *डाक टिकट,ट्रेन, विश्वविद्यालय,
    अस्पताल,राष्ट्रीय स्मारक स्थल नामकरण,सरकारी आदमकद प्रतिमा* आदि कार्य संचालित किया जाना सराहनीय है ! इतना ही नहीं वर्तमान *मा प्रधानमंत्री जी,मा गृहमंत्री जी भारत सरकार,मा मुख्यमंत्री जी उ प्र* द्वारा विगत दिनों सार्वजनिक रूप से महाराजा सुहेलदेव राजभर जी के जीवन वृतांतों को सरकार द्वारा संचालित प्रायः वांछनीय पुस्तकों के पाठ्यक्रमों में नवीन प्रविष्टि किये जाने की *उद्घोषणा* भी की गई ! परंतु उसका अनुपालन नहीं हो रहा है जबकि मा जनप्रतिनिधियों एवं समाज चिन्तकों सहित मेरे द्वारा भी *(प्रत्यावेदक डॉ पंचम राजभर)* संबंधित विभाग सहित शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार व उ प्र सरकार के संबंधित सक्षम प्राधिकारियों को महाराजा सुहेलदेव जी की प्रामाणिक अभिलेखों के आधार पर जीवनी सम्मिलित किये जाने सक्षम प्राधिकारियों के यहां लिखित प्रत्यावेदन दिया जा रहा तथा सरकार द्वारा बराबर प्रतिउत्तर में विषय वस्तु में सम्मिलित करने के लिए आश्वस्त भी किया जाता रहा है, जैसा कि मेरे द्वारा दिये गए प्रत्यावेदन पर भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय व उसके अधीनस्थ *राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के अद्यतन पत्र -फाइल *सं 5-68 सा वि मा शि वि/2023 दिनांक 11/01/2023* द्वारा प्रश्नगत प्रकरण को विशेषज्ञ समिति के समक्ष प्रस्तुत कर शामिल करने का आश्वासन अन्य और भी पत्रों में दिया गया है ! परंतु विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि उ प्र सरकार की *माध्यमिक शिक्षा परिषद* की कक्षा *9 से 12* तक पाठ्य पुस्तकों के *विषय सामग्री* में 50 महापुरुषों के नाम में *महाराजा सुहेलदेव राजभर* जी के जीवन परिचय को *सम्मिलित नहीं किया जा रहा है कि जो कि अत्यंत खेदजनक एवं राष्ट्र प्रेमियों सहित महाराजा के अनुयायियों/बंशजों के सम्मानजनक मनोभावों के प्रति न्यायोचित नहीं है ! यह अत्यंत संवेदनशील महत्वपूर्ण गंभीर चिंतनीय विषय है कि यदि 11 वीं सदी में तत्समय राष्ट्र नायक महाराजा सुहेलदेव जी विदेशी आतताइयों का *सामूहिक बध* नहीं किये होते तो उन विदेशी कट्टर जेहादी दुश्मनों के मंसूबे से आज भारत की स्थिति क्या होती किसके साम्राज्य का परचम लहराता और पुरातन भारतीय सांस्कृतिक सभ्यता एवं सनातन/मानवीय धर्म की कैसी स्थिति होती इसकी निष्पक्ष भाव से परिकल्पना की जा सकती है ! फिर भी ऐसे राष्ट्रपुरुष परम प्रतापी शूरवीर देश भक्त महाराजा सुहेलदेव जी के गौरवमयी सुकार्यो सहित जीवन वृतान्तों को पाठ्य पुस्तकों में सम्मिलित न करके अनदेखी कर उपेक्षित किया जाना उनके राष्ट्रीय योगदान के कद एवं गरिमा के प्रतिकूल है ! डॉ राजभर ने भारत व राज्य सरकारों से लिखित तौर पर विनम्र अनुरोध किया है कि 11वीं सदी के राष्ट्रनायक महाराजा सुहेलदेव राजभर जी के वीरता पूर्ण जीवन परिचय को विभिन्न ऐतिहासिक/सामाजिक /शैक्षणिक पुस्तकों के पाठ्यक्रमों में प्राथमिक से लेकर उच्चतम शिक्षा के कक्षाओं के पाठ्यक्रमों में तथा अद्यतन उ प्र माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित कक्षा 9 से 12 तक के *पुस्तकों की विषय सामग्री* में *तात्कालिक प्रभाव* से *नवीन प्रविष्टि* किये जाने हेतु तत्संबंधित को निर्देशित करने की कृपा करें,जिससे समाज व देश उनके उच्च आदर्शों सहित जीवन संघर्षों से देश प्रेम की प्रेरणा ले सके !